Wednesday, March 4, 2015

Guru-The Source of Life and Sadhana





गुरु कृपा का एक दिव्य प्रवाह जीवन में बहकर साधक मनस को जगाता है। इसी प्रेरणा से अविराम गुरु कृपा की अनुभूति करना है।


जीवन में गुरु के सन्निध्य का आंतरिक तादात्म ग्रहण करना शाश्वत दीक्षा है। इससे साधक मन एक प्राण होकर प्रकाशमान होता है।


गुरु कृपा के प्रकाश से तिमिर को उछिन्न करके, मन को मुक्त करके, अनुभूति ग्रहण कर लेना दीक्षा की दिव्य बेला है।  भगवान वेद्व्यास गुरु परम्परा की शाश्वत श्रिंखला को ज्योतिर्मय कर गए हैं।


गुरु कृपा से श्रीकृष्ण चरणों में दिव्य प्रेम की भावना जागती है; और इस दिव्य प्रेम की भाव जागृति से साधक हृदय पर श्रीकृष्ण चरणों का आवास होता है।

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