This Blog is dedicated to my Pujya Guru Sripad Baba who attained realization of formless God and God with form as Shri Krishna in an early age. He founded Vraj Academy in 1978 for transmission of Radha-Krishna consciousness into the spiritual aspirants, conservation and protection of the cultural heritage of Vraj and transformation of India's education system in the the light of Vedic system of education. He gave up his mortal body on December 31, 1996 at New Delhi.
Thursday, June 13, 2013
Divine Leelas of Sripad Baba-Experience of Prabodh Chaturvedi
Wednesday, June 12, 2013
बाबा श्रीपाद जी के साथ बिताए कुछ क्षण कुछ स्मृतियाँ
Shripad Baba’s Gurupurnima Message to Shri Dhaniram
श्री गुरुपूर्णिमा मैसेज
जीवन के एकमात्र आराध्य प्रेमास्पद श्री हरि एवं हरिप्रिया श्री राधा ही एकमात्र श्री गुरु हैं।
हृदय एवं बुद्धि में इनकी 'प्राण प्रतिष्ठा' हो। जीवन में 'वृन्दावन' के चिन्मय भावराज्य की उपलब्धि सजीव हो।
कृपा ही एकमात्र साध्य है। साधना तो कृपा की उपलब्धि का निमित्त है और 'कृपा' सहज है।
भावना का सहज उन्मेष 'देह' रूप में श्री गुरु-कृपा पाकर 'अदेह' रूप की उपलब्धि में बदलती है।
गुरु पूर्णिमा का अर्थ है सम्पूर्ण महाभाव।
श्री जी की सहज अनुभूति के साथ
श्रीपाद "बाबा"
संदर्भ: श्री भक्त धनीराम, आगरा को श्रीपद बाबा द्वारा लिखे गए एक पत्र से